Tuesday, October 9, 2018

Aarti Maa Ambe Ji Ki

Maa Ambe Ji ki Aarti


मंगल की मेवा सुन मेरी देवा ,हाथ जोड तेरे द्वार खडे।
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले अम्बे तेरी भेंट धरे।।
सुन जगदम्बे कर विलम्बे, संतन के भडांर भरे।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।।

बुद्धि विधाता तू जग माता ,मेरा कारज सिद्व रे।
चरण कमल का लिया आसरा शरण तुम्हारी आन पडे।।
जब जब भीड़ पड़ी भक्तन पर, तब तब कारज  सिद्ध करे । सन्तन प्रतिपाली ….।।


बार बृहस्पति सब जग मोहयो, तरूणी रूप अनूप धरे  ।।
कहीं माताएं पुत्र खिलावे, कही भार्या बन भोग करे 
महिमा तोरी बरन न जावे बैठी कोतुक आप करे । सन्तन प्रतिपाली ….।।


शुक्र सहायक जग सुख दायक, खड़े संत जये कार करे।
ब्रह्मा विष्णु महेश शारदा ,नारद गुण उच्चारण करे ।
अटल सिंहासन बैठी माता ज्वाला सिर सोने का छत्र फिरे । सन्तन
प्रतिपाली ….।।


बार शनिचर सुन मेरी देवी, अगर बार को हुकुम करे
खप्पर त्रिशूल खड़ाखड़ बाजे, रक्त बीज को भस्म करे ।।
शुम्भ निशुम्भ पछारे जननी , महिसासुर पटक धरे । सन्तन प्रतिपाली ….।।


एक बार सुन आदि भवानी , जन अपनों के कष्ट हरे
कोप होये दानव सँहारे ,चंढ़ मुंड सब चूर करें 
जिन पर नजर मेहर की किनी छीन में संकट दूर करें । सन्तन प्रतिपाली ….।।


सौम्य स्वभाव धरो मेरी अम्बे ,जन की अर्ज कबूल करे ।
सिंह पीठ पर छड़ी भवानी ,अटल भवन में राज करे ।
जो हित कर ध्यावे दर्शन पावे , धूप दीप ले ज्योत करे । सन्तन प्रतिपाली ….।।


ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शिव शंकर नित ध्यान धरे ।
इंद्र चंद्र तेरी करे आरती , कुबेर निस दिन चंवर ढुरे ।
अस्तुति तोरी सुने जो गावे , उनके संकट सदा हरे । सन्तन प्रतिपाली ….।।


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